हनुमान चालीसा किसीने लिखी थी ? Who wrote hanuman chalisa ?
People often wonder as to who wrote the hanuman chalisa. It is widely believed that Goswami Tulasidas himself wrote Hanuman chalisa and this can very well be true because both Hanuman chalisa and Ram Charit Manas are extremely similar form of poetry and written in language that was being used during same time.
इतिहास
हनुमान चालीसा भारत के सबसे लोकप्रिय धार्मिक साहित्य में से एक है। लगभग सभी हिन्दू भाषिक हिन्दू लोगो को कमसे कम एक दोहा तो आताही है। करोडो लोक हनुमान चालीसा का पठन बार बार हर रोज करते है। हनुमान चालीसा मन्त्र अद्द्भुत काव्य है जिससे बाधाएं दूर होती है तथा यश मिलता है. लेकिन यह काव्य लिखा किसने है ? तो माना जाता है की गोस्वामी तुलसीदास जिन्होंने रामचरित मानस लिखी उन्होंने हनुमान चालीसा लिखी।
माना जाता है की जब तुलसीदास जी ने रामचरित मानस लिखा तो उससे सभी हिन्दू समाज प्रभावित हुआ और राम जी की कथा गांव गांव में गूंजने लगी। यह बात खुद बादशाह अकबर तक पोहोंच गयी तो उन्होंने तुलसीदास जी को दरबार में पेश होने का आदेश दिया। तुलसीदास दरबार में गये जहा उनकी भेट बादशाह से तो नहीं हुयी लेकिन उनके मंत्री तोडरमल से हुयी। बातचीत में तुलसीदास जी को बताया गया की अकबर बादशाह खुद पे एक काव्य की रचना उनसे करना चाहते है। तुलसीदास जी ने राम जी के आलावा किसी की भक्ति करने को साफ मना कर दिया तो बादशाह ने उन्हें कारावास में भेजा।
कहा जाता है की कारावास में खुद हनुमान जी एक बुजुर्ग व्यक्ती का रूप लेकर प्रकट हो गए और उन्होंने तुलसीदास जी से प्रभु रामचंद्र जी की कथा सुनाने का आग्रह किया। भक्तिमे लीन तुलसीदास जी ने हनुमानजी को रामजी की कथा सुनाई। कथा में स्वयं का वर्णन सुनकर हनुमान जी ने तुलसीदास जी से पूछा की प्रभु रामचद्र जैसे महान प्रभु की स्तुति में हनुमान जैसे सामान्य वानर का क्या प्रयोजन ? तो तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा का निर्माण वही पे कर दिया और कहा की प्रभु रामचंद्र जी ने अपने सेवक हनुमान जी को कलियुग में रामभक्तों के रक्षण हेतु सक्रीय रहने का आदेश दिया है।
उसके तुरंत बाद अकबर बादशाह के महल पे बंदरों ने आक्रमण कर दिया। अकबर बादशाह को हताश होकर तुलसीदास जी को रिहा करना पड़ा.
क्या यह कथा सत्य है ? हमें पता नहीं, लेकिन इतना पता है की हनुमान जी की स्तुति स्वरुप यह काव्य अत्यंत सौंदर्यशाली है तथा लोकप्रिय भी है। हनुमान चालीसा का अनुवाद सभी भाषाओं में हो चुका है लेकिन जो माधुर्य मूल भाषामें है वो माधुर्य शायद ही किसी और भाषामें आप अनुभव कर सकते है।